वर्ल्‍ड ओबेसिटी डे: गहरा है मोटापे और डायबिटीज का संबंध

वर्ल्‍ड ओबेसिटी डे: गहरा है मोटापे और डायबिटीज का संबंध

सेहतराग टीम

डायबिटीज और मोटापे के बीच सीधा संबंध है। नीचे बिंदुवार इसकी जानकारी दी गई है।

  • टाईप 2 डायबिटीज के करीब 80 फीसदी मरीज या तो अधिक वजन के या फ‍िर मोटे की श्रेणी में आते हैं और इन्‍हें उच्‍च रक्‍तचाप और उच्‍च कोलेस्‍ट्रोल की समस्‍या भी होती है। एक लटकता हुआ पेट चयापचयी बीमारियों और हृदय रोग का एक सीधा संकेत माना जाता है।
  • डायबिटीज रोगियों में बेहद कम वजन बढ़ना (1 से 2 किलो) भी हृदय से संबंधित जटिलताओं का जोखिम बढ़ा देता है।
  • डायबिटीज की रोकथाम और नियंत्रिण के लिए वजन कम करना एकमात्र महत्‍वपूर्ण कदम है।
  • किसी व्‍यक्ति के कुल वजन में 7 से 10 फीसदी तक कमी लाना डायबिटीज और हृदय रोग के खतरे को बहुत हद तक कम कर देता है। डायबिटीज के रोगियों में तो ये कई जटिलताओं के खतरे को घटा देता है।

बढ़ा हुआ वजन किस प्रकार डायबिटीज का कारण बनता है?

शरीर की अतिरिक्‍त चर्बी खून में एक ज‍हरीला फैटी एसिड (फैट प्‍वाइजन) रिलीज करती है जो कि इंसुलिन के कार्य में अवरोध पैदा करता है जिसके कारण ब्‍लड शुगर का स्‍तर बढ़ जाता है। इंसुलिन के कार्य में यह अवरोध (इंसुलिन प्रतिरोध) हाई कोलेस्‍ट्रोल, हाई बीपी, ट्राइग्‍लीसराइड के बढ़ स्‍तर और अच्‍छे कोलेस्‍ट्रोल में कमी आदि में भी अपनी भूमिका निभाता है। भारतीयों में ये सभी अनियमिताएं एक साथ पाया जाना आम बात है।

बच्‍चों एवं युवाओं में मोटापा

भारत में किशोरवय युवाओं और बच्‍चों में मोटापा एक महामारी का रूप लेता जा रहा है और गंभीर स्‍वास्‍थ्‍य बोझ के रूप में सामने आया है। बचपन का मोटापा वयस्‍क होने तक भी बना रहता है (70 से 80 फीसदी मामलों में) और बाद में वजन कम करने के बावजूद जान पर खतरे को बढ़ा देता है। दूसरे शब्‍दों में कहें तो मोटा बच्‍चा बड़ा होकर मोटा वयस्‍क बनता है।

बचपन का मोटापा कई तरह की स्‍वास्‍थ्‍य चुनौतियों से जुड़ा होता है जो इस प्रकार हैं:

  • अबतक सिर्फ वयस्‍कों में पाई जाने वाली उच्‍च रक्‍तचाप, उच्‍च कोलेस्‍ट्रोल और डायबिटीज जैसी समस्‍याएं अब बच्‍चों में भी सामने आने लगी हैं।
  • किशोर वय तथा उससे बड़ी युवतियों में मोटापे के कारण पॉलीसि‍स्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (पीसीओडी), माहवारी की अनियमितता, एक्‍ने, चेहरे पर ज्‍यादा बाल आदि की समस्‍याएं होती हैं।
  • बचपन का मोटापा और भी कई समस्‍याओं की वजह है जैसे कि ऑब्‍सट्रक्टिव स्‍लीप एप्‍न‍िया, जल्‍द तरुणाई या जल्‍द माहवारी, भोजन से संबंधित समस्‍याएं, त्‍वचा के संक्रमण, हड्डियों की बीमारियां और मनोवैज्ञानिक समस्‍याएं आदि।

(डॉक्‍टर अनूप मिश्रा की किताब डायबिटीज विद डिलाइट से साभार)

 

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